खाटू श्याम जी मंदिर: एक अद्भुत और पावन यात्रा स्थल

5/5 - (1 vote)

अगर आप श्री कृष्ण और बर्बरीक, जिन्हें खाटू श्याम जी के नाम से पुकारा जाता है, के प्रति भक्ति और सम्मान का अनुभव करना चाहते हैं, तो आपको राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम जी मंदिर का दर्शन करना ही होगा।

यह मंदिर महाभारत के समय में हुए कुरुक्षेत्र के युद्ध में श्री कृष्ण और बर्बरीक की भक्ति और त्याग को सम्मानित करता है।

इस मंदिर में मनुष्य को आध्यात्मिक  लाभ,  मन  की  शांति,  ईश्वर  की  कृपा,  और  मंगलकामना पूरी होने का सौभाग्य मिलता है।

इस लेख में मंदिर के पीछे की कहानी, मंदिर से संबंधित अनुष्ठान और पर्व, मंदिर का दर्शन करने के लाभ, मंदिर का स्थान, समय, और सर्वोत्तम समय, सहित समस्त  महत्वपूर्ण  जानकारी  को  हम प्रस्तुत  करेंगे,जो  कि हमें प्रमाणिक स्रोतों से प्राप्त हुई है।

Khatu shyam ji mandir Overview

Khatu shyam ji mandir Entry Fee FREE – प्रवेश निःशुल्क
khatu shyam ji mandir timingठंड के मौसम में – मंदिर प्रातः 5.30 से दोपहर 1.00 तक और सायंकाल 5.00 से रात्रि 9.00 तक दर्शन के लिए खुला होता है
गर्मी के मौसम में – मंदिर प्रातः 4.30 से दोपहर 12.30 तक और सायंकाल 4.00 से रात्रि 10.00 तक दर्शन के लिए खुला होता है
where is khatu shyam ji mandirखाटू श्याम जी का मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित हैं
khatu shyam ji mandir open todayYes
khatu shyam ji mandir directionDirections
khatu shyam ji mandir is a distance from Delhikhatu shyam ji mandir rajasthan direction
श्री श्याम मंदिर की स्थापनाशिलालेख के अनुरूप ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की तीसरी तिथि संवत 1777 को किया गया, फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की सातवीं तिथि संवत 1777 को श्री श्याम जी सिंहासन पर प्रतिष्ठित हुए।

मंदिर के पीछे की कहानी

महाभारत में पांडवों में से एक, भीम के पोते,  घटोत्कच के पुत्र, बर्बरीक की कहानी  को समझाएं,  जो  महान  सैनिक  थे  और जिनके पास तीन तीर थे, जो किसी भी शत्रु को नष्ट कर सकते थे।

बताएं कि कैसे बर्बरीक ने कुरुक्षेत्र के युद्ध में हिस्सा लेने का निर्णय लिया, और कैसे उन्होंने कमजोर पक्ष का समर्थन करने का संकल्प लिया, ताकि वे न्यायपूर्ण रहें।

श्री कृष्ण, जो एक ब्राह्मण के रूप में वेशभूषा पहने हुए थे, और उन्होंने बर्बरीक की निष्ठा का परीक्षण किया और  उनसे अपना सिर (शीश दान) दान में मांगा, जिसपर वे बिना हिचकिचाए हां कह दिए।

खाटू श्याम जी मंदिर

विस्तार से समझाएं कि श्री कृष्ण ने बर्बरीक के भक्ति और त्याग से प्रसन्न होकर उन्हें दो वरदान प्रदान किए:

  • पहला, कि वे अपने सिर से ही युद्ध को देख पाएंगे
  • और दूसरा, कि वे कलियुग (वर्तमान काल) में श्री कृष्ण के ही नाम, श्याम जी, के रूप में पूजे जाएंगे

युद्ध के बाद, श्री कृष्ण ने बर्बरीक के सिर को आशीर्वाद दिया और रूपावती नदी में डुबो दिया। कलियुग के शुरू होने के कई साल बाद, उनका सिर राजस्थान के खाटू गांव में दबा हुआ मिला, जहां पर एक गाय के उद्धर से दूध का स्वतः ही बहना शुरू हो गया था।

हैरान परेशान होकर, ग्रामीणों ने उस जगह को खोदा, और  तब  से  समाप्त  हुए  सिर  का  पता  चला।  सिर  को  एक  ब्राह्मण  को  सौंपा  गया,  जिसने  कुछ  दिनों  तक  उसकी  पूजा  की,  और  प्रतीक्षा  की  कि  आगे  क्या  करना  है।

तब खाटू के राजा, रूपसिंह चौहान, को सपने में प्रेरित हुआ, कि वह सिर के लिए मंदिर निर्माण करें, और तोंहींने ब्राह्मण की मदद से मंदिर का निर्माण किया, और सिर को मंदिर में स्थापित किया।

मंदिर का महत्व

खाटू श्याम जी मंदिर का महत्व हिन्दू धर्म में बहुत ही बड़ा है, क्योंकि यहां पर महाभारत के समय से ही पूजा-पाठआरतीभजनकीर्तन, इत्यादि । का प्रचलन है।

यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं को खाटू श्याम जी का आशीर्वाद मिलता है, और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यहां पर खाटू श्याम जी की मूर्ति को स्वर्ण के सिंहासन पर स्थापित किया गया है, जो बहुत ही शोभनीय और मनमोहक है।

मंदिर से संबंधित अनुष्ठान और पर्व

खाटू श्याम मंदिर में वर्ष भर में कई अनुष्ठान और पर्व मनाए जाते हैं, जिनमें भक्तों का उत्साहपूर्ण भागीदारी होती है। कुछ प्रमुख अनुष्ठान और पर्व इस प्रकार हैं:

अनुष्ठान/पर्वतिथि/महीनाविवरण
फाल्गुन मेलाफाल्गुन मासमंदिर का सबसे बड़ा मेला है, जो 5-7 दिनों तक चलता है। इस मेले में करोड़ों भक्त आते हैं, जो पैदल, साइकिल, मोटरसाइकिल, कार, बस, ट्रेन, हेलीकॉप्टर से मंदिर पहुंचते हैं। मेले में कलाकारों के कार्यक्रम, प्रसाद वितरण, सेवा-सुविधा, सुरक्षा-प्रबंधन की व्यवस्था होती है।
होलीहोली के पहले दिनमंदिर में होली का पर्व बहुत ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है। मंदिर के प्रांगण में होली की आग जलती है, जिसमें समस्त प्रकार के प्रसाद (पुलाव, पकौड़े, पुरी-सब्जी, हलुआ) को समर्पित किया जाता है। सुनहरे-पीले-लाल-हरे-नीले-नारंगी-सुरमई-प्रकाशमान-प्रतिमा के समक्ष समस्त प्रकार के प्रसाद (पुलाव, पकौड़े, पुरी-सब्जी, हलुआ) को समर्पित किया जाता है।
हनुमान जयंतीहनुमान जन्‍मोत्‍स्‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍व के दिनमंदिर में हनुमान जयंती का पर्व भी बड़े ही श्रद्धा-भक्ति से मनाया जाता है। मंदिर के प्रांगण में हनुमान जी की प्रतिमा को सिंदूर से सराबर चढ़ाया जाता है, जिससे वह लाल-लाल दिखते हैं। हनुमान जी को लड्डू, मोदक, फल, पुष्प, सुंदर कपड़े, मुकुट, हार, माला, चोला, ध्वजा, गदा, पंखुड़ियां, etc. । के समर्पण किया जाता है। हनुमान चालीसा, सुरकाण्ड, हनुमान अष्टक, etc. । का पाठ-पाठन किया जाता है।
कृष्ण जन्माष्टमीकृष्ण पक्ष की अष्टमीमंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भी प्रेमपूर्वक मनाया जाता है। मंदिर के प्रतिमा को नहलाया-सहलाया-सुंदर-सुंदर-पोशाकों से संवारा-संस्कारित-सुंगन्धित और सुरमेहल किया जाता है।

खाटू श्याम मंदिर में फाल्गुन मेला, होली, हनुमान जयंती और कृष्ण जन्माष्टमी के अलावा भी कुछ अन्य अनुष्ठान और पर्व मनाए जाते हैं। कुछ प्रमुख अनुष्ठान और पर्व इस प्रकार हैं:

बसंत पंचमीइस दिन मंदिर के प्रतिमा को पीले रंग के कपड़े पहनाया जाता है, जो सरस्वती माता का प्रतीक है। मंदिर में सरस्वती पूजा, सुर-संगीत, कवि-सम्मेलन, साहित्यिक-कार्यक्रम, etc. । का आयोजन होता है।
रक्षा-पूर्णिमाइस दिन मंदिर में भक्तों का हुजूम होता है, जो बाबा को राखी बाँधते हैं। मंदिर के प्रतिमा को सुनहरे-पीले-लाल-हरे-नीले-नारंगी-सुरमई-प्रकाशमान-प्रतिमा के समक्ष समस्त प्रकार के प्रसाद (पुलाव, पकौड़े, पुरी-सब्जी, हलुआ) को समर्पित किया जाता है।
कलेवाइस पर्व को महाभारत के समापन के 18वें दिन मनाया जाता है, जो कि महत्वपूर्ण है, क्योंकि महाभारत के समापन के 18वें दिन ही, बर्बरीक (खाटू श्याम) के सिर को को दुर्गा माता के पास ले गए थे।1 इस पर्व पर मंदिर में बड़ा मेला लगता है, जिसमें भक्तों की संख्या लाखों में होती है। मंदिर में प्रतिमा को सुन्दर सजाया जाता है, और उन्हें प्रसाद के रूप में कलेवा, पुरी, हलुआ, पकौड़े, पुलाव, etc. । का प्रसाद चढ़ाया जाता है।

खाटू श्याम मंदिर का दर्शन करने के लाभ

खाटू श्याम मंदिर एक प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ स्थल है, जहां भगवान श्रीकृष्ण के साथ उनके प्रिय भक्त बर्बरीक की पूजा की जाती है। इस मंदिर का इतिहास महाभारत के समय से जुड़ा हुआ है, जब बर्बरीक ने अपना सिर काटकर श्रीकृष्ण को समर्पित किया था।

मंदिर का दर्शन करने के लाभ

  • मंदिर का दर्शन करने से हमें आत्मिक, मानसिक और शारीरिक लाभ मिलते हैं।
  • हमें भक्ति, प्रेम, करुणा, सहनशीलता, निष्कामता और सेवा की भावना प्राप्त होती है।
  • हमें पापों से मुक्ति, कल्मषों से परिहार, कुसंस्कारों से निवृत्ति और सुसंस्कारों से समृद्धि मिलती है।
  • हमें सुख, समृद्धि, संतुलन, समता, संतोष और समाधि की प्राप्ति होती है।
  • हमें संकटों से रक्षा, मुसीबतों से निवारण, कष्टों से मुक्ति और कलहों से प्रशांति मिलती है।
  • हमें रोगों से निदान, पीड़ा से हरन, प्रलोपनों  से  प्रतिकार
  • हमें मनोकामना की पूर्ति, मन्नत की पुर्ति, प्रार्थना की सुनवाई, प्रेम की पुष्टि, विवाह की सिद्धि, संतान की प्राप्ति, व्यापार की उन्नति, शिक्षा की सफलता, नौकरी की प्रगति, यात्रा की सुखदता, दान की महिमा, धर्म की महत्ता और मोक्ष की अनुभूति मिलती है।

मंदिर के आरती और त्योहार

खाटू श्याम जी मंदिर में प्रतिदिन चार बार आरती होती है, जो निम्नलिखित हैं:

मंगला आरतीसुबह 4:30 बजे
श्रृंगार आरतीसुबह 7:30 बजे
संध्या आरतीशाम 6:30 बजे
शयन आरतीरात 9:30 बजे

मंदिर में साल भर में कई त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:

  • होली: फाल्गुन मास की पूर्णिमा को
  • प्रकटोत्सव: चैत्र मास की एकादशी को
  • प्रकाशोत्सव: कार्तिक मास की पूर्णिमा को
  • पुनर्प्रकाशोत्सव: माघ मास की पूर्णिमा को

मंदिर के आस-पास के दर्शनीय स्थल

खाटू श्याम जी मंदिर के आस-पास कई दर्शनीय स्थल हैं, जिन्हें आप अपने यात्रा के दौरान देख सकते हैं, जैसे:

  • श्याम कुंड: यह एक पवित्र सरोवर है, जिसमें खाटू श्याम जी का सिर गाड़ा गया था।
  • गोपीनाथ मंदिर: यह एक प्राचीन मंदिर है, जिसमें राधा कृष्ण की मूर्ति है।
  • साकंबरी माता मंदिर: यह एक महत्वपूर्ण मंदिर है, जिसमें साकंबरी माता, सुरसा, कुन्ती, माधवी, इत्यादि । की पूजा की जाती है।
  • हर्षनाथ मंदिर: यह एक प्रसिद्ध मंदिर है, जो 10वीं सदी में बना है, और इसमें लोर्ड शिव की प्रतिमा है।

मंदिर तक पहुंचने का तरीका

खाटू श्याम जी मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको निम्नलिखित विकल्पों में से कोई भी चुन सकते हैं:

  • सड़क: आप बस, कार, टैक्सी, ऑटो इत्यादि. । का उपयोग करके मंदिर तक पहुंच सकते हैं। मंदिर रींगस से 17 किमी, सीकर से 80 किमी, जयपुर से 270 किमी, दिल्ली से 320 किमी, अहमदाबाद से 650 किमी, मुम्बई से 1300 किमी, इत्यादि. । की दूरी पर है।
  • रेल: आप रेल का उपयोग करके रींगस जंक्शन तक पहुंच सकते हैं, जो मंदिर से 17 किमी की दूरी पर है। रींगस से आप लोकल बस, तेम्पो, तांगा, इत्यादि. । का उपयोग करके मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
  • हवाई: आप हवाई का उपयोग करके संगानेर हवाई अड्डा, जयपुर तक पहुंच सकते हैं, जो मंदिर से 270 किमी की दूरी पर है। संगानेर से आप प्राइवेट कार, तेम्पो, इत्यादि. । का उपयोग करके मंदिर तक पहुंच सकते हैं।

दिल्ली से खाटू श्याम तक पहुंचने का तरीका

दिल्ली से खाटू श्याम जी मंदिर तक जाने के लिए आपको कई साधनों में से किसी एक का चयन कर सकते हैं, जो निम्नलिखित हैं:

सड़क

  • आप बसकारटैक्सीऑटो etc. । से मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
  • मंदिर रींगस से 17 किमी, सीकर से 80 किमी, जयपुर से 270 किमी, दिल्ली से 320 किमी, etc. । के अंतर पर है।
  • आप redBus की मदद से ऑनलाइन बस टिकेट बुक कर सकते हैं, जो निःशुल्कसुरक्षितसुगम और सस्ता है।
  • आप India Driver Tours की मदद से निजी कार किराया कर सकते हैं, जो लक्जरीस्वतंत्रसमायोज्य और मनोरंजन है।

रेल

  • आप रेल से रींगस जंक्शन पहुंच सकते हैं, जो मंदिर से 17 किमी के अंतर पर है।
  • रींगस से आप स्थानीय बसतेम्पोतांगा, etc. । से मंदिर पहुंच सकते हैं।
  • आप Rome2Rio की मदद से पूरा मार्गनिर्देशनमार्ग-समन्वय, etc. । प्राप्त कर सकते हैं, जो सहायकसुलभप्रामाणिक और मुल्य-लाभ है।

हवाई

  • आप हवाई से संगानेर हवाई अड्डाजयपुर पहुंच सकते हैं, जो मंदिर से 270 किमी के अंतर पर है।
  • संगानेर से आप निजी कारतेम्पो, etc. । से मंदिर पहुंच सकते हैं।
  • आप Travelmozi की मदद से हवाई मार्गनिर्देशनहवाई मार्ग-समन्वय, etc. । प्राप्त कर सकते हैं, जो सुरक्षितसुगमसमय-लाभ और मुल्य-लाभ है।

मंदिर के लिए कुछ यात्रा टिप्स

खाटू श्याम जी मंदिर के लिए यात्रा करने से पहले, आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, जैसे:

  • मंदिर में प्रवेश मुफ्त है, परंतु आपको ऑनलाइन बुकिंग करना होगा, जो मंदिर की वेबसाइट पर मिलेगी।
  • मंदिर में प्रसादभेंटलौंगसुपारी, इत्यादि. । का प्रबंध है, परंतु आपको नकदी से ही भुगतान करना होगा।
  • मंदिर में मोबाइलकैमरालेदर सामान, इत्यादि. । को ले जाना मना है, और उन्हें क्लॉक रूम में ही रखना होगा।
  • मंदिर में सम्मानपूर्वक पेश आना होगा, और किसी भी प्रकार का हिंसाहल्लातमाशा, इत्यादि. । नहीं करना होगा।
  • मंदिर में स्वच्छता का ध्यान रखना होगा, और कहीं भी कूड़ा-करकट, इत्यादि. । नहीं फेंकना होगा।

मंदिर के लिए कुछ आवश्यक संपर्क

खाटू श्याम जी मंदिर के लिए कुछ आवश्यक संपर्क हैं, जो निम्नलिखित हैं:

मंदिर कमेटी:01576 – 231182 , 231482
ऑनलाइन बुकिंगhttps://shrishyamdarshan.in/hindi.php
ई-मेलinfo@shrishyammandir.com
फेसबुकhttps://www.facebook.com/merasarveshwarmerashyamkhatu
ट्विटरhttps://www.youtube.com/@merasarveshwarmerashyamkhatu

खाटू श्याम जी मंदिर एक ऐसा मंदिर है, जो हर भक्त को अपनी ओर आकर्षित करता है, और उन्हें अपने प्रेम, कृपा, आशीर्वाद, सहायता, संतुष्टि, इत्यादि. । से समृद्ध करता है।

यह मंदिर न केवल एक पूजा स्थल है, बल्कि एक संस्कृति, परम्परा, इतिहास, कला, साहित्य, इत्यादि। का प्रतीक है, जो हमें हमारी पुरानी पीढ़ियों से जोड़ता है।

इसलिए, अगर आप भी महाभारत के समय से प्रसिद्ध, प्राचीन, पावन, महान, महिमामय, इत्यादि । मंदिर को देखना चाहते हैं, तो खाटू श्याम जी मंदिर को अपनी सूची में सम्मिलित करें,

और सही समय पर सही तरीके से सही मनोभाव से सही प्रेम से सही प्रतिज्ञा से सही प्रति से इत्यादि । मंदिर का साक्षी बनें, और सुनहरे पलों को सुनहरे पलों में इत्यादि।

I'm the Founder of www.fullSupport.in We provide daily information about Tech, Trip, Digital Marketing, & Education या other information के लिए हमारी वेबसाइट पढ़े।

Sharing Is Caring:

Leave a Comment