कुलधरा गांव 13वीं सदी में पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा स्थापित किया गया, जो पहले पाली में रहते थे

कुलधरा में पहली प्रेत-प्रकोप की प्रतिष्ठा 19वीं सदी में हुई, जब पूरा गांव किसी अनजाने कारण से खाली हो गया

यहां पर रात के समय अजीब-अजीब आवाजें सुनाई देती हैं, जैसे किसी का रोना, हंसना, चिल्लाना, घुमना, भागना, ठोकरना, गिरना, उठना, बोलना, सुनना, देखना, महसूस करना

यहां पर रात के समय कुछ अदृश्य शक्तियां महसूस होती हैं, जो पर्यटकों को परेशान करती हैं, जैसे किसी को धक्का देना, खींचना, मारना, पीटना, छेड़ना, सताना, डराना, मजाक उड़ाना

यहां पर रात के समय कुछ प्रेत-प्रकोप के स्थानीय स्थानों पर प्रकाशित होते हैं, जो पर्यटकों को हैरान करते हैं, जैसे मंदिर में दीपक, मकान में चिराग, पत्थर में आंखें, पेड़ में मुहं

कुलधरा: राजस्थान का रहस्यमयी गांव जिसे 5000 लोगों ने एक ही रात में छोड़ दिया

कुलधरा गांव की कहानी सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे।

क्या हुआ था 200 साल पहले, जिसकी वजह से पूरा गांव खाली हो गया?

क्या सच में कुलधरा में प्रेत-प्रकोप है?

क्या कुलधरा के पूर्व निवासियों का कोई पता चल पाया है?

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हवाओं का एक राजसी महल जो आपकी सांसें रोक देगा Read More पर क्लिक करे